जमीन की तुलना में पानी में शूट करने में पैसा, समय और सामर्थ्य तीन गुना ज्यादा खर्च होता है। पानी के अंदर शूट करने के लिए खास तकनीक की जरूरत होती है। यहां डायरेक्टर ऑफ फोटोग्राफी (DOP) की अहमियत काफी बढ़ जाती है। पानी के अंदर शूट कैसे करना है, यह इन पर ही डिपेंड होता है।
इसके अलावा एक्टर्स को भी खास तरह की तैयारियां करनी पड़ती हैं। उन्हें पहले स्विमिंग सिखाई जाती है। डाइट पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
अंडरवाटर शूट करने से पहले सेफ्टी का खास ख्याल रखा जाता है। सेट पर रेस्क्यू डाइवर्स मौजूद रहते हैं, ताकि अगर कोई डूबे, तो उसे बचाया जा सके।
कई हॉलीवुड और बॉलीवुड फिल्में अंडरवाटर शूट हुई हैं। इन फिल्मों की मेकिंग कैसे होती है और चुनौतियां क्या आती हैं, रील टु रियल के नए एपिसोड में इस पर बात करेंगे। इसके लिए हमने स्टंट आर्टिस्ट सनोबर पार्डीवाला, अंडरवाटर सिनेमैटोग्राफर प्रिया सेठ और एक्ट्रेस मधुरिमा तुली से बात की।
जिनके फेफड़े मजबूत नहीं होते, उन्हें अंडरवाटर शूटिंग में होती है दिक्कत रियल लोकेशन पर शूट के दौरान 4 से 5 लोग ही पानी के अंदर जा पाते हैं। इसमें दो कैमरामैन, एक रेस्क्यू डाइवर और आर्टिस्ट होते हैं। जिन एक्टर्स के फेफड़े मजबूत नहीं होते, उन्हें अंडरवाटर शूटिंग करने में दिक्कत हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि जमीन की तुलना में पानी में शूटिंग करने से थकान जल्दी होती है। साथ ही एक्टर्स को तैराकी आनी बहुत जरूरी है। बिना इसके वे अंडरवाटर शूट कर ही नहीं सकते।
पानी के अंदर कैमरा हैंडलिंग सबसे चुनौतियों वाला काम कैमरे के अंदर पानी न जाए, इसके लिए उसे एक खास तरह के ग्लास से कवर किया जाता है। यह एक वाटर प्रूफ ग्लास होता है। यहां पर सिनेमैटोग्राफर का रोल बहुत बढ़ जाता है।
सिनेमैटोग्राफर प्रिया सेठ ने कहा, ‘जमीन पर तो हम आसानी से कैमरा हैंडल कर लेते हैं, लेकिन उसे पानी में लेकर शूट करना काफी चुनौतियों वाला काम है। एक अंडरवाटर सिनेमैटोग्राफर को फिजिक्स की नॉलेज होनी बहुत जरूरी है। पानी के अंदर कैमरे का वजन कितना होगा। कैसे मूव किया जाएगा। एक्टर्स को कैसे गाइड करना है, ये सारी बातें एक सिनेमैटोग्राफर को पता होनी चाहिए। इसके अलावा एक्टर्स को भी अपनी जॉब समझनी चाहिए। कई बार उनकी तैयारी पूरी नहीं होती, जिसकी वजह से पूरा शूट खराब हो जाता है।’
अंडरवाटर शूट के लिए भी बुलाए जाते हैं स्टंट आर्टिस्ट फाइट या खतरनाक एक्शन सीक्वेंस के लिए अक्सर एक्टर्स के बॉडी डबल को बुलाया जाता है, ठीक वैसे ही पानी के अंदर शूटिंग के लिए भी कभी-कभार स्टंट आर्टिस्ट को बुलाया जाता है। ये स्टंट आर्टिस्ट बेहतरीन तैराक होते हैं, जो गहरे से गहरे पानी में भी एक्शन सीक्वेंस फिल्माते हैं।
तैराकी न आने की वजह से दो स्टंट आर्टिस्ट की मौत हो गई थी स्टंट आर्टिस्ट सनोबर ने कहा, ‘अंडरवाटर स्टंट करते वक्त दिमाग शांत होना चाहिए और सांसों पर कंट्रोल होना चाहिए। अंडरवाटर सीक्वेंस उसी स्टंट आर्टिस्ट से कराना चाहिए जो एक सर्टिफाइड स्विमर हो। ऐसा न होने से बहुत बड़ा खतरा भी हो सकता है।’
सनोबर ने कहा कि एक बार साउथ फिल्म की शूटिंग के दौरान दो स्टंट आर्टिस्ट की मौत हो गई थी। दरअसल, उन दोनों को हेलिकॉप्टर से तालाब में छलांग लगानी थी। वे नीचे कूद तो गए, लेकिन उन्हें सही से तैरना नहीं आता था। दुर्भाग्यवश दोनों की मौत हो गई।
समुद्र में शूट करना आसान नहीं, इसलिए ज्यादातर सेट स्टूडियो में बनाए जाते हैं समुद्र में जाकर शूट करना आसान नहीं होता। हर वक्त चक्रवात और तूफान का डर बना रहता है। साथ ही पानी के अंदर खतरनाक मछलियों और एक्टर्स की सेफ्टी का मसला भी रहता है। इसके अलावा पानी के अंदर शूट करने में कैमरा हैंडलिंग सहित कई दिक्कतें भी आती हैं।
इसी वजह से जो फिल्में पूरी तरह वाटर सेंट्रिक होती हैं, उनके मेकर्स स्टूडियोज में शूट करना ज्यादा बेहतर समझते हैं।
स्टूडियो के अंदर आर्टिफिशियल तूफान और चक्रवात भी दिखाए जा सकते हैं बेल्जियम में एक अंडरवाटर फिल्म स्टूडियो है। इसके अंदर जो पूल है, वो 10 मीटर गहरा है। यहां बिजली की मदद से एक मीटर तक ऊंची लहरें उठाई जा सकती हैं। यहां आर्टिफिशियल बारिश भी कराई जा सकती है। पूल के पानी को गर्म रखने के लिए सोलर पैनल और हीट पंप का इस्तेमाल किया जाता है।
यहां स्पेशल इफेक्ट्स के जरिए तूफान और चक्रवात के सीन भी दिखा सकते हैं। इसके अलावा पानी के कलर को भी बदला जा सकता है। इसे तैयार करने वाले शख्स विम मिशिल्स खुद एक गोताखोर और सिनेमैटोग्राफर हैं।
अंडरवाटर फिल्म स्टूडियो बनाने की जरूरत क्यों? अंडरवाटर फिल्म स्टूडियो बनाने के पीछे भी एक खास वजह है। दरअसल विम मिशिल्स अपने क्रू मेंबर के साथ कई-कई दिन समुद्र के पास जाकर लहरें उठने का इंतजार करते थे। इससे फिल्म की शूटिंग में काफी देरी हो जाती थी। ऊपर से एक्टर्स के लिए एक्चुअल लोकेशन पर शूट करना खतरनाक भी हो जाता था, इन्हीं बातों को सोचकर उन्होंने अंडरवाटर फिल्म स्टूडियो का निर्माण किया।
जब अंडरवाटर शूट करते वक्त घायल हुए अक्षय कुमार, डर था मछलियां निगल जाएंगी 2009 में आई हिंदी फिल्म ब्लू पूरी तरह से वाटर सेंट्रिक फिल्म थी। फिल्म की अधिकतर शूटिंग अंडरवाटर हुई थी। इस फिल्म के लीड एक्टर अक्षय कुमार एक सीन के दौरान घायल भी हो गए थे।