भोपाल: मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक शुक्रवार को विवादों और मतभेद के बीच संपन्न हुई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता उमंग सिंघार शुक्रवार को इस बैठक में शामिल नहीं हुए, जबकि गुरुवार को राजनीतिक मामलों की समिति के 25 में से 16 सदस्य बैठक में अनुपस्थित रहे। इस अनुपस्थिति ने पार्टी में असंतोष और अंदरूनी मतभेदों को और उजागर किया है, खासकर पिछले साल के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से मिली करारी शिकस्त के बाद।
बैठक के पहले दिन जिन प्रमुख नेताओं ने बैठक में भाग नहीं लिया, उनमें पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व राज्य मंत्री गोविंद सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, प्रवीण पाठक, कमलेश्वर पटेल, शोभा ओझा और विधायक आरिफ मसूद शामिल थे। इसी तरह पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह भी बैठक से अनुपस्थित रहे।
कांग्रेस की बैठक में मतभेद
बैठक से अनुपस्थित रहने वाले नेताओं की सूची में इतने बड़े नामों के शामिल होने से पार्टी में असंतोष की चर्चा तेज हो गई है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख जीतू पटवारी ने हालांकि उमंग सिंघार की अनुपस्थिति को उनके गले में खराश के कारण बताया। बैठक के पहले दिन उनके रोने के बारे में पूछे जाने पर पटवारी ने इसे “मीडिया द्वारा गढ़ी गई कहानी” बताया और कहा, “मैं एक योद्धा हूं।’’
हालांकि, एक पार्टी नेता ने बताया कि बैठक में शामिल न होने वाले नेता बीजेपी सरकार की नीतियों और विफलताओं को लेकर अगले सप्ताह विधानसभा का घेराव करने का निर्णय लेने के पक्ष में थे। साथ ही पार्टी ने सभी 230 विधानसभा क्षेत्रों के लिए प्रभारी नियुक्त करने का फैसला किया है, ताकि आने वाले चुनावों में बेहतर प्रदर्शन किया जा सके।
पार्टी ने संगठनात्मक फैसले लिए
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के दौरान पार्टी ने वार्ड, मोहल्ला और ग्राम समितियों के गठन का निर्णय भी लिया। यह बैठक पार्टी के नए संगठनात्मक ढांचे की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है, क्योंकि पिछले महीने इन समितियों के गठन की प्रक्रिया शुरू हुई थी और यह पहली बैठक थी। बैठक में लिए गए फैसलों से पार्टी ने यह संकेत दिया है कि वह आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर गंभीर है, लेकिन अंदरूनी असंतोष और नेताओं के बीच मतभेद पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकते हैं।