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तो छोड़ सकता हूं मंत्री का पद’, चिराग पासवान के बयान से मची सनसनी

लोजपा रामविलास पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने पार्टी के अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ के एक समारोह में कहा कि वह सिद्धांतों से समझौता करने के बजाय मंत्री पद छोड़ना पसंद करेंगे।
पीएम मोदी के नेतृत्व वाले केंद्र सरकार में मंत्री चिराग पासवान ने बड़ा राजनीतिक बयान दिया है। चिराग पासवान ने कहा है कि वह अपने पिता रामविलास पासवान की मिसाल को ध्यान में रखते हुए अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करेंगे। चिराग ने कहा कि वह इसके बजाय मंत्री पद छोड़ना पसंद करेंगे। अब चिराग पासवान के इस बयान के बाद राजनीतिक अटकलें तेज हो गई हैं। आइए जानते है कि चिराग ने और क्या कुछ कहा है।
UPA की बात कर रहा था- चिराग
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने सोमवार को एक समारोह में ये बयान दिया है। हालांकि, चिराग ने ये भी कहा कि जब तक नरेन्द्र मोदी मेरे प्रधानमंत्री हैं, तब तक हम एनडीए में रहेंगे। ‘मैं अपने पिता की तरह मंत्री पद छोड़ने में संकोच नहीं करूंगा’ वाले बयान के बारे में पूछे जाने पर चिराग पासवान ने कहा कि वह कांग्रेस के नेतृत्व वाले UPA की बात कर रहे थे।

मेरे पिता भी UPA सरकार में मंत्री थे- चिराग
चिराग पासवान ने अपने बयान को लेकर सफाई देते हुए कहा कि “मेरे पिता भी UPA सरकार में मंत्री थे। और उस समय बहुत सी ऐसी चीजें हुईं जो दलितों के हितों में नहीं थी। यहां तक ​​कि बाबा साहब आंबेडकर की तस्वीरें भी सार्वजनिक कार्यक्रमों में नहीं लगाई जाती थीं। इसलिए हमने अपने रास्ते अलग कर लिए।” इस दौरान चिराग ने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार दलितों के बारे में उनकी चिंताओं के प्रति संवेदनशील है।

चिराग के पास में 5 सांसद
चिराग पासवान भाजपा की सहयोगी लोजपा रामविलास पार्टी के प्रमुख और हाजीपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं। मोदी सरकार की कैबिनेट में चिराग को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री का पद दिया गया है। लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी ने 5 सीटों पर चुनाव लड़ा और सभी सीटें जीती थीं। चिराग कई मौकों पर खुद को पीएम मोदी का हनुमान बताते रहे हैं।

चिराग ने क्यों दिया बयान?
पीटीआई के सूत्रों का मानना है कि चिराग पासवान अपना जनाधार मजबूत करने और भाजपा की छाया से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं। ये भी अनुमान लगाया जा रहा है कि चिराग भाजपा नेतृत्व को ये जताने की कोशिश कर रहे हैं कि वह अपने चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ भाजपा नेतृत्व की नजदीकियों से खुश नहीं हैं।

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